Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps April 01, 2012 "जिस्म का आखरी मेहमान बना बैठा हूँ, एक उम्मीद का उन्वान बना बैठा हूँ , वो कहाँ है ये हवाओं को भी मालूम है मगर, एक बस मैं हूँ जो अनजान बना बैठा हूँ ...." Read more